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आरती भाभी ने सुख दिया

| Friday, 15 July 2016
हेल्लो फ्रेंड्स धिस इज राज, (नोट रियल नाम) फ्रॉम डेल्ही. ये मेरी लाइफ की सच्ची स्टोरी हे. इस स्टोरी को में आपके साथ शेर कर रहा हूँ. अगर आपको पसंद आए . प्लीज् मुझे रिप्लाई जरूर करना. अब में आपका ज्यादा वक्त ना लेते हुए सीधा स्टोरी पर आता हूँ. में मेरठ से हु और डेल्ही में रेंट पे रहता हूँ. में जिस मकान में रहता हूँ वहां एक भैय्या और भाभी उन्का ८ साल क लड़का और उनकी सास और ससुर रहते हे. मेरा रूम उपर हे और भैय्या और भाभी  निचे रहते हे.
ये स्टोरी ३ महिने पहले की हे आरती भाभी मुझे बहोत ही सेक्सी लगती हे देख के किसी का भी लंड खड़ा हो जाएगा. उनकी आदत बहोत ही अच्छी हे में कभी कभी उनके लड़के के साथ लिया करता था. एक दिन भैय्या और उनकी मोम एंड डेड किसी शादी के लिए गए साथ में उस छोटे बच्चे को ले गए अब घर पर में और भाभी ही थे आरती भाभी ने मुझे बोला की राज आज खाना यही खा लेना. मेने कहा ठीक हे उस टाइम भाभी के लिए मेरे दिमाग में कुछ नहीं था.
जब डिनर का टाइम हुआ आरती भाभी ने मुझे आवाज़ लगाई, की  राज खाना खा लो मेने कहा भाभी आता हूँ. में जब निचे गया तो भाभी ने खाना लगा दिया था.खाना खाते टाइम भाभी बोली की की राज रात में मुझे डर लगता हे. आज मेरे साथ ही सो जाओ प्लीज्, मेने बोला ठीक हे भाभी.
में डिनर करने के बाद कपडे चेंज करने के लिए अपने रूम में चला गया.और जब आया तो देखा की भाभी आँखों में एक अजीब सी चमक थी भाभी भी कपडे चेंज कर चुकी थी. वो व्हाइट कलर की नाईटी पहने रही थी. अब हम उनके रूम में चले गए. वो बोलने लगी की मेरे बेड पर ही लेट जाओ. शर्दी का मौसम हे .
मेने कहा ठीक हे मुझे लगा की आज भाभी का इरादा कुछ सही नहीं लग रहा हे.उसके बाद हम मूवी देखने लगे. जी टीवी पर गंगा जमुना सरस्वती चल रही थी. और उसमे एक सिन आता हे जो वो बर्फ में डूब जाता हे और लड़की उसके साथ सेक्स करती हे तब भाभी बोली के एसा होता हे मेने कहा हाँ.

फिर हम टीवी बंद करके सो गए. और रात में बहोत तेज बारिस होने लगी. मुझे सर्दी लगने लगी में सिर्फ एक ब्लैंकेट में था. और भाभी दूसरा ब्लेंकेट ले रही थी. अब भाभी बोली की राज दोनों ब्लेंकेट एक साथ जोड़ लेते हे. फिर दोनों को शर्दी कम लगेगी. मेने कहा ठीक अब मौसम एसा हो गया था, में भी सोंच रहा था केसे भाभी से चिपकू. अब हमने ब्लेंकेट जोड़ लिया. और एक दुसरे से बिलकुल मिल कर सो गए. मेने भाभी की तरफ को मुह गुमाया अब मुझे नींद नहीं आ रही थी. में बस अब किसी भी तरह भाभी को चोदना चाहता था. मेने आँखे बंद करके सोने का नाटक करने लगा. और अपना हाथ भाभी के बूब्स पर रख दिया. भाभी ने मेरा हाथ हटा दिया.
मेने थोड़ी देर बड फिर हाथ रख दिया अब की बार वो कुछ नहीं बोली मेने धीरे से अपने हाथो से उसके बूब्स को दबाया वो कुछ नहीं बोली फिर मेरी कुछ हिम्मत बढ़ी. फिर धीरे से दबाया. फिर वो कुछ नहीं बोली और में दबाता गया. ५ मिनट बाद में भाभी के मुह से आवाज़ आई सीईईए राआआअजज्ज्जज्ज्ज क्या कर रहे हो में कुछ नहीं बोला.और दबाता ही गया. अब भाभी मुझे किस करने लगी. और भूकी लोमड़ी की तरह मेरे शारीर में बाईट करने लगी.मेने भाभी आराम से बोली आज बहोत दिन बाद सेक्स कर रही हूँ.

राज प्लीज् मुझे रोकना मत मेने बोला भैय्या क्या करते हे बोली की वो जब तक में गरम होती हु तब तक झड कर सो जाते हे.अब उन्होंने मेरी काप्री उतार्दी मेरी टीशर्ट भी उतर दी. और बोली मेरे राजा अब मेरे कपडे उतारो. मेने उनके कपडे उतारे वो सिर्फ नाइटी पहने हुई थी. उन्होंने मेरा लंड देखा ८’ वो देखती ही रही कुछ देर तक और फिर उसको साथ में लेकर सहलाती रही. फिर एक दम से मुह में ले लिया और मुझे बोला की तुम मेरी चूत चाटो ना प्लीज्
राज अब हम ६९ पोजीसन में थे जब मेने हलके से जिब उनकी चूत में डाली त उनके मुह से आवाज़ निकली र्रर्ररआआआआज्ज्ज्जज्ज्ज्जज्ज्ज और लंड मेने उनके मुह में डाल दिया अब में उनकी चूत को चाट रहा था और वो मेरा लंड चुस्ती रही.१५ मिनट  के बाद दोनों झड गए.
अब में उनके ऊपर सीधा लेट कर उनकी चूची दबाता रहा. वो फिर से गरम हो गयी और अब मेने उनकी चूत में केसा ही अपना लंड गया वो बोली की पूरा अन्दर डाल दो. राज मेरे राजा आज पहली बार इतना लम्बा देखा हे. में उनकी चूत को दबाता गया.और एक आह्ह्ह्ह से उनके चूचो को दबाता गया अब वो सिस्कारिया ले रही थी. ह्ह्हह्ह्ह्ह आआआअ ह्ह्हह्ह्ह्ह अह अह अह हहह्ह्ह्हह्ह्ह्ह चोदते रहो राज चोदते रहो अआज्ज्ज्ज मुझे चोदते रहो मुझे पूरी रात चोदोप्लीज् आआआअ ह्ह्ह्हह्ह आआआह ह्ह्ह्हह ऊऊऊऊऊ ऊऊऊउफ़्फ़्फ़्फ़आआअ आआअ ईईईए ऊऊऊऊ म्मम्मम्म म्म्मम्म्म्ररररआआआआ ज्ज्ज्ज आआआआ २५ मिनट बाद में जड़ गया. और वो भी फिर हम पूरी रात सेक्स किया उस दिन मेने अपनी लाइफ में पहलीबार ५ बार सेक्स किया और अब हम जब भैय्या ऑफिस चले जाते हे तब वो मेरे रूम में ही आ जाती हे और हम डेली सेक्स करते हे. अगर कोई लेडी मेरे साथ करना चाहे तो मुझे मेल कर शक्ति हे.

भाभी को मैंने चोदा

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हेलो, फिर से आपके सामने एक नई स्टोरी लेके आया हु. पहले स्टोरी में आप लोगो का अच्छा रिप्लाई आया. टाइम ना बर्बाद करते हुए, स्टोरी पे आता हु. मेरा नाम हर्ष है २४ का हु और दिल्ली में रहता हु. मुझे ये कहते हुए फक्र है, कि आज तक जिस भी भाभी या आंटी या गर्ल को मैंने चोदा है, वो मुझसे बार- बार चुदवाने के लिए लालायित रहती है. ये कहानी मेरे फ्रेंड की बड़ी बहन की है जो मुझसे ६ साल बड़ी थी. उन्होंने ही मुझे चोदना सिखाया. जब मैं १८ साल का था, तो मैं अपने दोस्त के यहाँ अक्सर ग्रुप स्टडी के लिए जाया करता था. जब भी हम लोगो के एग्जाम होने वाले होते थे, तो मैं उसके ही घर पर रात को रुक जाया करता था, क्युकि हम लोग देर रात तक पढ़ते थे और मेरे घर में मेरी पढाई नहीं हो पाती थी. उसकी बड़ी बहन हमें मैथ पढ़ाती थी, उनका नाम प्रिया था और वो २४ साल की गोरी, मस्त फिगर वाली माल थी. बड़े-बड़े चुचे, मोटी गांड और क्या मस्त फिगर था उनका. बट उस समय मुझे इन सब बातो के बारे में कुछ मालूम नहीं था.
एक दिन, मैं ज्यादा रात होने की वजह से उसके ही घर पर रुक गया था और उसके मम्मी-पापा अलग रूम में सोये थे. मैं, मेरा दोस्त एंड उसकी बड़ी बहन तीनो एक साथ डबल बेड पर सोये थे. अचानक रात में, मेरी नीद खुली तो मैं सुसु करने बाथरूम जाने लगा. जैसे ही मैं बाथरूम में गुसा, तो देखा मेरी नीद एकदम से उड़ गयी. प्रिया दीदी बाथरूम में फर्श पर नंगी लेटी थी और अपनी ऊँगली से अपनी चूत को सहला रही थी और मसल रही थी. मैं नीद में चलते हुए गया था, उन्हें इस तरह देखा तो मैं उन्हें सॉरी बोल कर वापस आ गया. वो भी बाथरूम से बाहर आ गयी और मुझे देखकर कुछ नहीं बोली और बिस्तर पर लेट गयी. मैं सुसु करने चला गया. दुसरे दिन, जब मैं सोकर उठा, तो अपने घर चले गया और घर जाके रात के बारे में सोचने लगा, कि आखिर दीदी कर क्या रही थी? उनके नंगे बदन के बारे में सोचते ही, मेरा लंड खड़ा होने लगा था और कब मेरा हाथ उस तक पहुच गया, मुझे पता ही नहीं चला और मैंने उसे हिलाना शुरू कर दिया. कुछ देर बाद, उसमे से जोरदार पिचकारी के साथ वाइट-वाइट कुछ निकला, थोडा दर्द हुआ, लेकिन मज़ा भी आ गया.
फिर मैं लंच करके सो गया. शाम को मैं फिर से उस दोस्त के यहाँ गया और वहीँ रुक गया. मैं दीदी पर ही नज़र डालकर उन्हें घुर रहा था, वो भी मेरी इस हरकत को नोटिस कर रही थी. कुछ दिन ऐसे ही चले. फिर एकदिन, मेरे दोस्त के घर पर कोई नहीं था. दीदी ने मुझे बुलाया और मैं चले गया. फिर उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया और कहाँ बैठ, मैं कुछ खाने को लेकर आती हु. मैंने कहा मेरा पेट फुल है और मैं कुछ नहीं लूँगा. फिर वो मेरे पास आके बैठ गयी और हम टीवी देखने लगे. फिर वो मुझसे बोली – तू मुझे आजकल इतना क्यों घूरता है. मैंने बोला, नहीं तो दीदी; ऐसा तो कुछ भी नहीं है. तो वो बोली, मुझे सब कुछ पता है. चल अच्छा ये बता, उस दिन रात में जो तूने देखा. किसी को बताया तो नहीं? मैं बोला – क्या देखा? वो बोली – जब तू सुसु करने आया था और जो तूने देखा, वो. तो मैं बोला – अच्छा वो. नहीं किसी को नहीं बताया. तो वो बोली – एक बात बोलू. मैंने बोला – हाँ दीदी, बोलो. वो बोली – अगर हम कुछ करे, अच्छा वाला. बहुत मज़ा आएगा, उसमे. लेकिन तू प्रोमिस कर, किसी को कुछ नहीं बोलेगा. मैंने बोला – ठीक है. नहीं बताऊंगा प्रोमिस.
वो मेरे मेरे पास आई और मुझसे बोला – अपने कपडे उतार अच्छा. मैंने कहा – नहीं, मुझे शर्म आती है. तो वो बोली – पागल है तू. देखा इतनी ही देर में वो अपने सारे कपडे उतारके नंगी हो गयी और मैं उसे देखता ही रह गया. फिर वो बोली – चल, अब तू भी कपड़े उतार. मैंने भी जोश में आकर अपने कपड़े उतार दिए और पूरा नंगा हो गया. मेरा लंड देखकर वो बोली, छोटा है तेरा लंड. बट काम करेगा. फिर उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसको हिलाने लगी. मुझे मज़ा आने लगा था. फिर, वो नीचे अपने घुटनों पर बैठ गयी और अपने हाथ से मेरे लंड को मसलते हुए, उसने मेरे लंड को अपने मुह में ले लिया. जैसे ही मेरा लंड उसके मुह में गुसा. मैं तो मस्ती में पगला ही गया. वो मस्ती में मेरा लंड चूस रही थी और मेरा शरीर उतेजना में हिलने लगा था.
अब अब तेल ले आई थी. उसने मेरे लंड पर तेल लगाकर मालिश करने लगी. बहुत देर मालिश करने के बाद, वो बोली दूध पिएगा. मैं बोला – हाँ. फिर उन्होंने मुझे अपने पास खीचा और अपने दूध पकड़कर मुझे पिलाने लगी. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. क्या सॉफ्ट थे, एकदम फोम की तरह. मैं उन्हें दबा-दबा कर चूसने लगा. वो अहहहहहः अहहहहः की आवाज़े निकालने लगी और बोली और जोर से चूस और जोर से दबा. मैंने अपनी पूरी ताकत से उनके दूध दबाने शुरू कर दिए. वो पुरे लाल पड़ चुके थे. फिर वो बोली – चल नीचे चाट. मैंने बोला – किसे? उन्होंने अपनी टांग फैला ली और चूत खोल दी. क्या चूत थी, एकदम पिंक. लगा रहा था, कि खून टपक रहा हो. फिर वो बोली – चल चूस. मैं चूसने लगा. मुझे टेस्ट अच्छा नहीं लगा बट मैं चूसता रहा. थोड़ी देर बाद, मुझे नमकीन स्वाद मिला. तब मुझे मज़ा आने लगा चूसने में अहहहः हहहः .. क्या मज़ा आ रहा था. अब दीदी भी आवाज़े निकाल रही थी अहहहः आआआ ह्ह्हह्ह्ह्ह आहाहहहहः और तेज और तेज …. अब हम दोनों थकने लगे थे. फिर वो बोली, अब ये जो तेरा लंड है, इसे इस छेद में डाल दे. मैं बोला – ठीक है. फिर मेरा लंड पकड़कर उसने अपने छेद में लगाया और मुझे जोर से अपनी तरफ खीचा. मेरा लंड तेल की मालिश के बाद पूरा चिकना हो चूका था, तो एक ही बार में पूरा अन्दर चले गया. आआआआआआआ वो बोली – आहाहहहः …मज़ा आ गया मुझे तो. मानो मैं तो जन्नत में पहुच गया हु. मेरे लंड पर गरम- गरम लगा रहा था. कितना अच्छा लग रहा था, आपको बता नहीं सकता. क्या मस्त सीन था और फिर वो धीरे-धीरे आगे पीछे करने लगी मुझे. मुझे और भी ज्यादा मज़ा आने लगा था.
फिर थोड़ी देर बाद, वो बोली – तू लेट जा और मैं तेरे ऊपर आती हु. वो मेरा लंड अपनी चूत में डालकर मेरे ऊपर बैठ गयी और खूब तेजी से कूदते हुए, अपनी चूत को मेरे लंड पर ऊपर नीचे करने लगी. बड़ा मज़ा आ रहा था मुझे. पुरे कमरे में फच फच फच की आवाज़े गूंज रही थी. फिर कुछ देर बाद, मज़ा ख़तम हो गया और मेरा वाइट- वाइट निकल गया. आपको बता नहीं सकता, जब वो निकला कितना गरम था. फिर वो थोड़ी देर तो ऊपर नीचे करने लगी, तो मेरी सुसु निकल गयी उनके अन्दर. वो बोली – ये क्या कर रहे हो? मैं बोला – सुसु आ गयी. तो वो बोली – झड़ गये क्या? मैंने कहा – हाँ, वाइट – वाइट निकल गया. वो बोली – बता नहीं सकते थे. तो मैंने कहा – पता ही नहीं चला. वो बोली – मुठ नहीं मारते क्या? मैं बोला – नहीं. वो बोली – तभी छोटा है तेरा. कोई नहीं, मैं बड़ा कर दूंगी तेरा लंड. फिर वो मेरे लंड को मुह में लेके चूसने लगी. उस दिन उनकी दो बाद और चुदाई की और फिर क्या था. अब तो अक्सर मैं उनकी चुदाई करता और उन्होंने भी अपनी चुदाई से मेरे लंड को हथोडा बना दिया.

बूब्स देख कर मेरा मन उसे चोदने को करता

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हेल्लो दोस्तो,यह कहानी है मेरे एक पड़ोस की लड़की की उसका नाम था शिल्पा (बदला हुआ) और वो देखने में भी बिल्कुल शिल्पा शेट्टी जैसी लगती थी। मैं जब भी उसे देखता, मेरा लण्ड मेरी पैन्ट को फाड़ने लगता था, और कई बार तो उसके बारे में सोच कर मैं मुठ भी मारता। एक दिन वो मुझे रास्ते में मिली और मुझे देखकर मुस्कुरा कर निकल गई। मुझे तो विश्वास ही नहीं हुआ। फिर एक दिन शाम के समय वो अपने घर के बाहर खड़ी थी और मैं कहीं जा रहा था, तो उसने मुझे रोका और कहा – प्रशांत, क्या आप एकाउँट के मेरे कुछ प्रॉब्लम समझा देंगे? मैं उसे प्रॉब्लम समझा कर वहाँ से निकल गया।
इसी तरह उसकी और मेरी दोस्ती आगे बढ़ी, अब तो हम फ़ोन पर भी बात करने लगे। मैं तो बस मौके की तलाश में था कि कब मुझे उसको चोदने का मौका मिले। एक दिन वो मेरे घर पर आई, उस समय मैं घर पर अकेला था, घर पर कोई नहीं था।
उसको देखते ही मेरे लण्ड ने सलामी दी और मैं मन ही मन बडा खुश हुआ।
उसको मुझसे कुछ प्रॉब्लम समझनी थी। उस दिन वो लंबी स्कर्ट और शोर्ट टॉप पहने हुई थी।
दोस्तो, क्या कयामत लग रही थी वो।
उसका फिगर एक दम परफेक्ट था 36-24-36, जिसे देख कर मैं पागल हो गया।
हम दोनों मेरे बेडरूम में गए और हम प्रॉब्लम हल करने लगे।
जब वो झुकती तो उसके बूब्स देख कर मेरा मन उसे चोदने को करता। थोड़ी देर बाद मैंने हिम्मत करके उसकी कमर पर हाथ रखा और मसलने लगा
उसने कोई भी आपत्ति नहीं की इससे मेरी हिम्मत बढ़ गई।
धीरे-धीरे मैंने अपना हाथ उसके बूब्स पर रखा और उन्हें दबाने लगा। वो फिर भी चुपचाप बैठी रही।
जब मैंने धीरे से उसकी टी-शर्ट में हाथ डाला, तो वो मेरी तरफ देखने लगी और बोली – क्या कर रहे हो?
मैंने आव देखा ना ताव उसके दोनों होंठ, जो गुलाब की पंखुड़ियों की तरह थे अपने होठों में दबा लिए और उसे चूमने लगा। वो भी थोड़ी देर बाद मेरा साथ देने लगी।
यह देख कर मैंने उसके बूब्स जोर-जोर से दबाने शुरू कर दिए, उसकी आँखों में अब मस्ती छाने लगी।
उसने अपने दोनों हाथ मेरे बालों में डाल लिए और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी।
अब मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी, उसने गुलाबी रंग की ब्रा डाली हुई थी और उसके बूब्स उसमें से बाहर झांक रहे थे।
मैंने उसके दोनों कबूतरों को ब्रा की कैद से आजाद करवाया और उन्हें अपने हाथों से दबाने लगा।
फिर मैंने उसका एक चुचा अपने मुँह में लिया और उसे बच्चों की तरह चूसने लगा। वो ऊऊऊऊऊउ… आआआआआआआअ… आ… आआ… आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह… की तरह सेक्सी आवाजें निकालने लगी।
उसका हाथ मेरे लण्ड पर चला गया और उसने अंदर हाथ डाल कर मेरा लण्ड बाहर निकाल लिया और उसके साथ खेलने लगी।
फिर मैंने उसकी स्कर्ट भी उतार दी। उसने गुलाबी रंग की पैंटी डाली हुई थी। मैंने जैसे ही उसकी पैंटी उतारी उसकी चूत देख कर मैं अपने होश गंवा बैठा। 
उसके होठों से भी नाजुक और गुलाबी-गुलाबी उसकी चूत जिस पर एक भी बाल नहीं था।
मैंने उसकी चूत को जैसे ही छुआ, वो चिहुक पड़ी। मैंने उसकी चूत को अपने होठों की कैद में ले ले लिया, वो पागलों की तरह अपने हाथों से अपने बूब्स दबाने लगी और ऊ… ऊऊऊऊ… आ… आआ… आआ… ह्ह्ह्ह्ह… ह्ह्छ… सेक्सी आवाज़ें निकालने लगी।
अब मैने उसे अपना लौड़ा मुँह में लेने को कहा। उसने पहले तो मना किया, फिर मेरे जोर देने पर उसने मेरा लौड़ा मुँह में ले लिया और खूब चूसा, जैसे एक छोटा बच्चा लोली-पॉप को चूसता है।
थोड़ी देर में मैं जब आने वाला था तो मैंने अपना सारा वीर्य उसके मुँह में दे दिया और वो भी बड़े प्यार से पी गई।
उसके बाद मैंने उसकी टांगें फ़ैलाई और उसकी चूत पर अपना लण्ड रखकर एक धक्का दिया और वो पागलों की तरह चिल्लाने लगी।
उसकी चूत कुँवारी थी। मैंने देखा तो उसकी चूत में से खून निकल रहा था।
वो रोने लगी और मुझे कहा – प्लीज़, बाहर निकाल लो।
लेकिन मैं उसके होठों को चूसने लगा और उसके बूब्स दबाने लगा। थोडी देर में जब वो शांत हुई तो मैंने एक ही झटके में पूरा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया, वो बहुत जोर से चिल्लाई।
उसकी आँखों से आंसू निकल रहे थे, थोडी देर बाद वो सामान्य हुई तो मैं अपना लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा और वो भी अब पूरा सहयोग देने लगी और पूरा कमरा प्प्प्फ्ह्ह्ह्ह्होह्ह्… क्क्किक्छ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्… ऊऊऊऊउ… आआआआअ… ह्ह्ह्ह्ह्… ह्ह्हह्ह्ह्ह… की सेक्सी आवाजों से गूंजने लगा। कुछ ही देर बाद वो झड़ गई और थोडी देर में मैं भी झड़ गया। हम दोनों ने उस दिन कई बार सेक्स किया और वो बहुत ही खुश नज़र आ रही थी। फिर वो घर चली गई।

पड़ोस वाली आंटी की चुदाई

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दोस्तों ये धटना अभी ताज़ी है कल की बात है | मेरे पड़ोस में एक आंटी रहती है मुझे यह आंटी बहुत अच्छी लगती थी। उनकी फ़ीगर 38-30-38 है। चूतड़ो का पूछो मत, मोटी मोटी जांघे मोटे मोटे बड़े-2 चूतड़ ! जब जब वो चलती थी तो उनके बड़े-2 चूतड़ हिलती रहती। जब जब मैं आंटी के बड़े-2 चूतड़ो को देखता मेरा सात इन्च लम्बा तीन इन्च मोटा लण्ड जोश में आ कर तन जाता था। आंटी बहुत ही सेक्सी थी। बेचारी आंटी अंकल के काम की वजह से मस्ती भी नहीं करती थी। उसके पति फौजी थे, अक्सर बाहर ही रहते थे।
एक दिन मैं उनके घर गया, अनीता आंटी अकेली थी। मैंने आंटी से पूछा कि सब लोग कहाँ है?
आंटी ने जवाब दिया कि अंकल का तो तुमको पता ही है और सभी बच्चे मामा के घर गये हैं। आज रात को नहीं आयेंगे।
फिर मैंने आंटी को कहा- ओके आंटी, मैं चलता हूँ
आंटी ने मुझे रोक लिया और कहा- अभी रुक जाओ, मुझे नहाना है, तब तक तुम मेरे घर का ख्याल रखना। मैं अभी नहा कर आती हूँ।
आंटी नाइटी में थी, गुलाबी नाइटी में उनके वक्ष बड़े सेक्सी लग रहे थे, बोली- तू मेरा पी सी भी ठीक करके जाना खराब है !
मुझे नहीं पता था कि आंटी भी पी सी चलाना जानती हैं। मैं रुक गया आंटी नहाने चली गई।
मैं इनके बेडरूम में आंटी का इन्तज़ार कर रहा था कि अचानक मेरी नज़र बेड पर पड़ी, बेड पर तौलिया, पैंटी और ब्रा पड़ा था। ब्रा और पैंटी बहुत बड़ी थी। तकरीबन 15 मिनट बाद आंटी ने आवाज़ दी और कहा- तौलिया दे दो मुझे।
मैंने आंटी को तौलिया दिया फिर आंटी ने कहा- प्लीज़ मेरी पैंटी और ब्रा भी दे दो।
मैंने आंटी को पैंटी और ब्रा भी दे दी। अब आंटी नहा कर निकली। आंटी ने सफ़ेद रंग का सूट पहना हुआ था। आंटी की काली ब्रा नज़र आ रही थी। अब मैंने आंटी को कहा- आंटी अब मैं चलता हूँ। आंटी ने कहा- तुम्हें कुछ काम से जाना है क्या?
मैंने जवाब दिया- नहीं !
फिर आंटी ने मुझे कहा- रुक जाओ ! मैं अकेली बोर हो जाऊंगी। कुछ बातें वगैरह करते हैं।
मैं बैठ गया और आंटी अपनी लाइफ़ के बारे में बता रही थी। अब आंटी कुछ खुल कर बातें करने लगी।
मेरे से पूछने लगी- तुम्हारी गर्लफ़्रेंड्स हैं या नहीं, कभी सेक्स किया
है या नहीं। मैं ऐसी बात सुन कर हैरान हो गया। अब मैं भी खुल गया था। मैंने आंटी से पूछा- आंटी, आप को सेक्स पसंद है?
आंटी ने जवाब दिया- सेक्स हर किसी को पसंद होता है पागल। 
क्या तुम्हें पसंद नहीं है आंटी ने कहा?
मैंने जवाब दिया- कभी किया ही नहीं है।
आंटी ने कहा- झूठ मत बोलो, मुझे मालूम है, तुम बहुत बुरे हो ! तुमने अपनी काम वाली को चोदा है और वंदना को भी, मुझे सब पता है और तुमने उन पर कहानी भी लिखी, मैंने भी तुम्हारी कहानी कल रात को पढ़ी थी और मेरी चूत गीली हो गई थी, जी करता था कि तुमको रात को ही अपने घर बुलाकर अपनी प्यास बुझा लूँ, लेकिन बच्चे घर पर थे। झूठ बोलता है, तूने अपना मोबाइल नम्बर भी दे रखा है, लेकिन मैंने सोचा जब घर आओगे तब ही बात करूंगी तुमसे। तेरी मौसी को बोलना पड़ेगा कि तेरा विवाह कर दे।मैं अचानक डर गया।
आंटी ने कहा- डरो मत, मैं कुछ नहीं केहूँगी ! मैंने तो तुमको नंगा भी देखा है। 
मैंने आंटी से पूछा- केब देखा आप ने मुझे नंगा?
आंटी ने जवाब दिया- जब तुम मेरे घर के बाथरूम में पेशाब कर रहे थे। मैंने कुछ नहीं कहा। मेरी भी चूत प्यासी है क्या अपनी आंटी की प्यास नहीं बुझाओगे? कहानी में तो लिख रखा है गुलाम हाज़िर है, अब चुप क्यों बैठे हो? अब बोलो, बुझायेगा मेरी चूत की प्यास तुम्हारा लण्ड ?
मैं अनीता आंटी की बातों से मन ही मन खुश हो रहा था, सोचा नहीं था कभी कि आंटी खुद तैयार हो जायेगी। मैं उनसे डरता भी था क्योंकि वो बहुत गुस्सेवाली है।
आंटी ने अब अपना हाथ मेरे लण्ड पर रखा तो मुझे तब बहुत अच्छा लगा। मेरी आंटी बहुत प्यासी थी वो बिल्कुल गोरी थी। उनकी उमर ३७ की थी लेकिन अभी भी बिल्कुल जवान लगती थी। ज़िंदगी में आज पहली बार ३७ साल की औरत के साथ सेक्स करने जा रहा था।
अब आंटी ने मुझसे कहा- अपनी पैंट उतारो ! मैं भी देखूँ तुम्हारा प्यारा सा लण्ड।
मैंने अपनी पैंट उतार दी। मैंने उस दन अंडरवियर नहीं पहना हुआ था। मैं अब नीचे से नंगा था। आंटी मेरे पास आई और मेरी शर्ट भी उतार दी और मुझे पूरा नंगा कर दिया। आंटी को मेरा लण्ड बहुत अच्छा लगा। आंटी ने मेरा हाथ अपने वक्ष पर रखा और कहा- “दबाते रहो प्लीज़।”
मैंने खूब दबाये आंटी के स्तन। आंटी को मज़ा आ रहा था। फिर आंटी ने अपनी कमीज़ उतारी फिर सलवार उतारी। फिर मेरे लण्ड को चूसने लगी। फिर मैं आंटी की ब्रा खोलने की कोशिश कर रहा था तो आंटी मुस्करा कर बोली- बेटा, मैं खोल देती हूँ।
फिर आंटी ने ब्रा खोल दी और पैंटी भी उतार दी। अब आंटी का गोरा गोरा जिस्म मेरे सामने पूरा नंगा था।
आंटी ने अपने बड़े बड़े स्तन मेरे लण्ड पर रख दिये और अपने वक्ष से मुझे चुदाई का मज़ा दे रही थी। कुछ देर बाद मैं आंटी की चूत को चाटने लगा। आंटी की सेक्सी सेक्सी आवाज़ें निकल रही थी- आआआआह्हहह्हह्ह ऊऊऊह्ह्हह बेटा आआआह्हह्हह्हह्हह ज़ोर से बेटा आआआह्हह्हह्हह्ह तेरी आंटी प्यासी है मेरी प्यास बुझा दे बेटा। आआआअह्हह्हह्ह।
आंटी ने कहा- अब अपना लण्ड मेरी चूत में डालो ! प्यासी है मेरी चूत, प्यास बुझाओ जल्दी।
मैंने आंटी की दोनों टांगों को अपने हाथों से अपने कंधों पर रखा और चूत पर लण्ड रखा।
आंटी की चूत टाइट हो रही थी। मैंने हल्का सा धक्का दिया तो आंटी की चीख निकल गई और आंटी ने कहा- आराम से डालो ! क्या जल्दी है तुमको?
मैंने कहा- आंटी, अब आराम से डालूँगा।
फिर मैंने हल्के हल्के झटके लगाने शुरु कर दिये। मेरे धक्कों से आंटी को मज़ा आ रहा था। आंटी की आवाज़ें निकल रही थी- ऊओह्हह्ह्ह ऊफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़ हाआआ। और डालो और डाल आज मेरी चूत को मज़ा दे दो प्लीज़। तेज़ करो।
मैंने तेज़ कर दिया।
आंटी ने मुझे बेड पे मुझे सीधा लिटा दिया और मेरे लण्ड के ऊपर अपनी चूत रख दी और ज़ोर-2 से हिलने लगी और चिल्लाने लगी- आह्हह्हह्हह् बेटा बेटा आआआआह्हह्हह्हह्हह्ह मज़ा आ गया तुम्हारा लण्ड अब मेरी प्यास बुझा देगा !
और वो ज़ोर-2 से ऊपर नीचे होने लगी, ऐसे में मेरे लण्ड को भी दर्द हो रहा था। आंटी और मैं दोनों पागल हो गये और मैंने आंटी को उठा लिया और नीचे लिटा कर उनकी टांगें खोल दी और फिर से चुदाई शुरु कर दी, आंटी झड़ने वाली थी। हमको 15-20 मिनट हो गये थे और मेरा भी पानी निकल ने वाला था।
आंटी ने कहा- अंदर ही झाडना ।
मैंने कहा- ठीक है आंटी।
मैंने आंटी को कहा- आंटी, पानी निकल ने वाला है !
आंटी ने कहा- झड़ो बेटा जी भर के झड़ो।
और मैं आंटी की चूत में झड़ने लगा फिर आंटी ने मेरा लण्ड अपनी चूत से निकाल दिया 15 मिनट तक हम नंगे ही बेड पर लेटे रहे।
अब जब भी मौका मिलता है मैं आंटी की प्यास बुझाता हूँ। दोस्तों कहानी कैसी लगी मुझे ईमेल कर जरुर बताना |

साली साहिबा चुदवा लो ना

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मेरा नाम कन्नन है । मैं 3३२ साल का नौजवान हूँ। सुन्दर लड़की को देखकर मेरा लण्ड खड़ा होने लगता है और बेकाबू हो जाता है । चोदने की ईच्छा तीव्र हो जाती है। मन करता है कि उसके नर्म नर्म गालों को छू लूँ और उसके होठों को चूम लूँ। उसे अपनी बाहों में भरकर उसकी चूचियों को दबा दूँ और अपना लण्ड उसके बुर में डालकर चोद डालूँ। सर्दियों के दिन थे और शादी का माहौल था। मेरे तीसरे छोटे साले की शादी थी और हमलोग ससुराल में इके हुए। काफी लोग होने की वजह से हर कमरे में कई लोगों के सोने का इन्तजाम था। मेरी सलहज यानि पहले साले की बीवी का नाम था निशा। गेहुआँ रगं भरा हुआ बदन ३४-२६-३८ के आकंड़ों जैसा गदराया बदन थिरकती बड़ी बड़ी चूचियां मोटी मोटी केले के तने जैसी जांघें और गज़ब की सुन्दर। इच्छा करती कि दबोच कर बस चबा ही डालूँ। इठलाती हुई जब चलती अपनी साड़ी को सामने हाथ से चूत के पास सम्भालती हुई तो मन होता की बस इसकी गर्म चूत को क्यों न मैं ही पकड़ लूँ और मसलता रहूँ। साड़ी से वह अपनी मस्त थिरकती बड़ी बड़ी तनी हुई चूचियों को भरसक ढकती रहती लेकिन वह बगल से ब्लाउज के माध्यम दिखता रहता। झुकी हुई निगाहों से देखती और मुस्कुरा देती। हमारा लौड़ा और खड़ा हो जाता। शाम के करीब चार बजे थे और मैं उसकी तरफ देखे जा रहा था। तभी खिलखिलाती हुई बोली क्यों जीजाजी़ क्या चाहिये
मेरे मुहॅं से निकल पड़ा – “तुम।”
चौंक कर बोली –“क्या ?
मैंने जवाब दिया मेरा मतलब तुम्हारे हाथ कि एक कप चाय।
चाय पीकर जैसे तैसे शाम गुजरी और रात हुई। एक कमरे में ऊपर पलगं पर मर्दों‍ को सोने के लिये कहा गया और ठीक नीचे जमीन पर औरतों के लिये गद्दे लगाये गये। किस्मत देखिये पलंग के जिस किनारे पर मैं था़ ठीक उस के नीचे जमीन पर सबसे पहले निशा का बिस्तर था। मन में बड़ी गुदगुदी हो रही थी। लण्ड था कि उठे जा रहा था। मैंने ठान लिया कि बच्चू आज न चूकना। बस मौका देखकर पहल कर ही देना।फिर सोचा कि एक बार टोह तो लेकर देखूँ।  मैंने निशा से पूछा़ – “निशा ये मेरा तकिया एकदम किनारे में क्यों रख दिया़ पलंग पर बीच में रखती।
वह बोली़ – “क्यों आप करवट बहुत ज्यादा लेते हैं फिर आहिस्ते से बोली़ प्लीज़ आप मेरे ऊपर मत गिर जाइयेगा।”
ये अन्दाज़ ऐसा था कि कोई बेवकूफ ही समझ न पाये। फिर क्या था़ मैंने चादर तानी़ लण्ड हाथ में लिया और लेटे हुए सबके सोने का इंतजार करने लगा। आखिर रात कुछ गुजरी और थके हुए सभी लोग एक एक कर गहरी नींद में सो गये़ सिवाय मेरे और निशा के जो कि मैं जानता था। हिम्मत जुटाकर मैं आहिस्ता से ऊपर पलंग के किनारे से उतर कर नीचे जमीन पर निशा के बगल में लेट गया। कमरे में पहले से ही निशा ने चतुरता से नाईट लैम्प निकाल लिया था और एकदम घुप अंधेरा था। मैंने पहले उसकी चादर हौले से अपने उपर ले ली और अपने बदन को उससे सटाया मानो कह रहा हूँ कि मैं आ गया। वो चुपचाप रही और मेरी हिम्मत बढ़ी।
मैंने अपना हाथ अब धीरे से उसके कमर पर रखा और उसकी नर्म लेकिन गर्म गर्म नाईटी पर सरकाते हुए उसकी चूची पर रख दिया। वह कुछ नहीं बोली। मैंने अब उसकी चूची को दबाया। वह शांत रही। और मैं मदहोश होने लगा। लण्ड खुशी के मारे फड़फड़ाने लगा। लण्ड को मैंने उसके भारी चूतड़ों से चिपका दिया। और हाथ से दूसरी चूची को दबाने लगा। चाहत बढ़ी और मैंने अपने हाथों से उसकी नाईटी को ऊपर उठाया। अब मेरा हाथ उसके बदन पर था। हाथ को ऊपर लाते हुए और उसके नर्म नर्म बदन का मज़ा लेते हुए मैंने उसकी नंगी चूचियों को छुआ। गोल और एकदम सख्त। नर्म लेकिन गर्म।निप्पल को दबाया और कसकसकर अब मैं चूचियों को दबा रहा था। होठों से मैं उसके गरदन को चूमने लगा। अब लण्ड चोदने के लिये बेताब हुआ जा रहा था। आखिर कब तक सहता। कोई आवाज भी नहीं कर सकते थे।
एक हाथ मैंने उसकी गरदन के नीचे से घुसाकर उसकी चूची पर रखा और दूसरा हाथ मैंने सरकाते हुए उसकी चूत पर रख दिया। चूत पर घने बाल थे लेकिन फिर भी एकदम गीली थी। यानि चुदवाने के लिये तैयार। लण्ड तो बुर में घुसने के लिये बेताब था ही। मैंने अपनी उंगली उसके बुर के दरार को छूते हुए अन्दर घुसा दी। उसने एक आह सी भरी। वो भी चुदवाने को एकदम तैयार थी।
उसके कानों के पास मुँह ले जाकर मैंने फुसफुसाकर कहा़ –“मैं बाथरूम में जा रहा हूँ तुम थोड़ी देर बाद धीरे से आ जाओ जानेमन।”
आहिस्ता से उठकर दबदबे पॉंव से मैं बाथरूम के अन्दर घुस गया और दरवाज़ा हल्का सा खुला रख इंतजार करने लगा। पॉंच मिनट बाद निशा आयी और जैसे ही अन्दर घुसी मैंने गेट बन्द कर चिटकनी लगा दी। अब क्या था। मानों सहनशीलता का बांध बस टूट गया। मैंने कस कर उसे अपनी बॉंहों में भरा और अपने होंठ उसके धधकते होंठो पर रख जोर जोर से चूसने लगा। क्या होंठ थे। जैसे गुलाब़ की पॅंखुडि़यॉं। ऐसा टेस्ट कि बस नशा आ गया। एक हाथ से मैंने उसके बाल पकड़ रखे थे चूमते हुए और दूसरे हाथ से मैं उसकी चूचियों को मसल रहा था।
-“निशा रानी़ चुदवाओगी।” मैंने पूछा।
उसने एक हाथ से मेरी पीठ को अपनी तरफ दबा रखा था और दूसरे हाथ से मेरे लण्ड को पकड़कर बोली़ –
“जी़जाजी़ जो भी करना है जल्दी कीजीये।”
बात करते हुए हमलोग अपने कपड़े उतारे जा रहे थे।
एकदम नंगे होकर बदन से बदन टकराये। होंठो को लगातार चूमते हुए काटते हुए और चूसते हूए और उसकी सख्त लेकिन फूली हुई थिरकती बड़ी बड़ी उभरी हुई चूचियों को मसलते हुए़ मैंने उसे दिवार के सहारे लगाया और दाहिने हाथ से उसकी बायीं चूची को दबाता रहा और उसके दायीं चूची को अपने मुहॅं में ले लिया। ऐसा स्वाद आ रहा था कि बस चूसते ही रहो। मैंने शरारत करते हुए कहा़ –
“निशा रानी तुम इतने दिन कहॉं छिपी थी ।
मेरे शरारती प्रश्न के जवाब में बोली – “ज़ीजाजी जल्दी से डालिये ना।  मैंने भी देखा की अब ज्यादा देर करने में रिस्क है़ सो अपने लण्ड को उसके बुर के दरार पर रगड़ते हुए एक धक्का लगाया। लण्ड अन्दर घुस तो गया लेकिन मज़ा नहीं आया। चुदाई का मज़ा तभी है जब लड़की को लिटा कर चोदा जाय। बाथरूम के फर्श पर मैंने निशा को लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गया। मोटी मोटी केले के तने जैसी चिकनी गोरी गुलाबी जांघों को फैलाया और उनके बीच में से गोरी पावरोटी सी फूली चूत के मुहाने को दो उंगलियों से फ़ैला अपना लण्ड रख धक्का मारा। होंठों को बिना आवाज किये चूसते हुए चूचियों को दबाते हुए मैंने चोदना शुरू किया और वो चूतड़ उठा उठा कर चुदवा रही थी। ऐसा आनन्द आ रहा था कि मालूम ही नहीं पड़ा कि हम दोनों कब एक साथ झड़ गये।
जल्दी से हमने कपड़े पहने और बाहर निकलने के पहले मैंने निशा को कस कर अपनी बाहों में जकड़ा कर चूम लिया ।

चूत चूसने की कहानि

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हेलो दोस्तों , मै सेक्स कहानियों को पड़ने का बहुत शुाकिन हूँ, पर मुझे ज्यादातर कहानियां काल्पिनक ही लगती हैं या फिर उन्हें बड़ा चढ़कर लिखा जाता हैं., मैं भी हमेसा से अपने साथ बीती सेक्स घटनाएँ शेयर करना चाहता था पर मुझे लिखने में आलस के कारन लिख नहीं पाता था लेकिन आज सोचा की क्यों न आप सब दोस्तों को अपने साथ हुई घटनाओ से रुबरु करवानो .
मेरा नाम नीरज हैं अभी मैं दिल्ली में रहता हूँ , पर ये कहानी मेरे होम टाउन की हैं और ये कहानी १५ साल पहले की हैं तो कुछ बातें आप को पुराने ज़माने जैसी लगेगी , मेरे पिताजी सरकारी कर्मचारी हैं , और वो जूनियर इंजीनियर की पोस्ट में थे मेरी एक छोटी बहन और माजी हाउस वाइफ हैं.हम सरकारी घर में रहते थे हमारे ब्लॉक में चार घर थे दो ग्राउंड फ्लोर में और दो अप्पर फ्लोर में .इशी तरह के ८ ब्लॉक लाइन से थे. हम ग्राउंड फ्लोर में रहते थे , घर में तीन मुख़्य दरवाजे थे पहला दरवाज दूसरे घर के सामने खुलता था , दूसरा दरवाजा सामने गार्डन के सामने खुलता था और तीसरा बैक के आग्न के बाद रोड पर खुलता था, हमारा बगल वाला घर दो महीने पाहिले खाली हुआ था , वो दादा जी रिटायर हो गए थे. तब मैं १७ साल का था. उस घर में एक कपल रहने आये अंकल की उम्र 40-45 और आंटी की उम्र ३५ के आस पास थी. वो बरेली से ट्रांसफर हो के आये थे तब उत्तरखंड उत्तर प्रदेश में ही था. वो अंकल भी जेइ थे .उनकी ६ साल की बेटा था. आंटी का नाम गोदावरी था और अंकल का नाम जीतेन्द्र प्रसाद था. आंटी की शक्ल रेखा से मिलती थी और रंग बहुत गोरा था, और उनकी मुस्कान बहुत जबदरस्त थी, मुझे उनसे प्यार हो गया था कच्ची उम्र का प्यार, मेरे उनके बारे में कोई गलत विचार नहीं थे.
फिर हमारा उनके घर आना जाना सुरु हो गया मैं अक्सर आंटी और अंकल के साथ कैरम और सतरंज खेला करता था. इसी तरह टाइम बीतता रहा फिर एक दिन मेरे एक दोस्त ने मुझे एक पतली से बुक दिखाई जिसमे अंग्रेज लड़कियों की नंगी पिक्चर्स थी , और उसमे लण्ड , चूत चूसने की, चुदाई की पिक्चर्स भी थी उसे देखे मेरे जिस्म में सिहरन सी दौड़ गई. मैं जब शाम को बाथरूम में गया तो मैंने अपना लण्ड हिलाने लगा और वो बड़ा हो गया और मैंने पहली बार मुट्ठ मारी. अब मैं जब आंटी के साथ कैरम या लूडो खेलता तो मेरी नज़ारे उनके मस्त बूब्स पे चली जाती थी क्योंि घर में अक्सर लूडो खेलते हुए उनका पल्लू नीचे गिर जाता था और वो उसे वापस नहीं रखती थी और मैं पहले खेल में ही ध्यान देता था. पर अब मैं चोरी चोरी उनकी छातियों की गहराई नापने लगा उस समय मुझे अंदाजा नहीं था की बूब्स का क्या साइज था आज कह सकता हूँ ३४ से कम नहीं रहा होगा. ऐसे ही एक दिन उन्होंने मुझे उनकी चुचिया देखते हुए देख लिया वो कुछ बोलने ही वाली थी की रिशु उनका बेटाजो दूसरे रूम में टीवी देख रहा था आ गया और बोला मुझे भी खेलना हैं. और वो बात आई गई हो गई. अब मेरे बोर्ड के एग्जाम ओवर हो गए और मेरी छुट्टियां पड़ गई.
फिर हम दिन में रोज करम या लूडो खेलते थे, लेकिन अक्सर हम दोपहर में दो बजे के बाद खेलते थे और उस समय उनका बेटा रिशु भी घर में रहता था.
एक बार वह बाहर बच्चो के साथ खेलने गया लगभग चार बज रहे होंगे , और हम लूडो खेल रहे थे .मेरा ध्यान आंटी के बूब्स पर जा रहा था आंटी ने फिर देख लिया और बोली क्या देख रहा है लल्ला , वो मुझे लल्ला बोलती थी , और अपने बेटो को भी लल्ला ही बोलती थी मैंने कहा कुछ नहीं, मै घबरा गया और बोला की कुछ नहीं वो बोली मैं कई दिन से देख रही हूँ तू मेरी छाती घूरता रहता है क्या बात है ,मेरे मुह से निकल गया की आंटी वो किताब , आंटी- कैंसी किताब , मैं – कुछ नहीं आंटी , आंटी – बता मुझे , आंटी की आवाज मे कोई गुस्सा नहीं था , तो मैं बोला मेरे दोस्त ने ( मेरा वो दोस्त भी हमारी कॉलोनी मे ही रहता था) एक किताब दिखाई थी ,उसमे वो वो … आंटी – उसमे क्या ? मैं – उसमे नगी औरतो की तस्वीर थी जब से मैंने वो देखि मैं पागल सा हो गया हूँ, और तभी से मैं आपके वो देखता हूँ, आंटी – वो क्या? मैं- आपके दुधु ? आंटी हंसी मम्मे बोल मम्मे 
आंटी – इस उम्र मे होता है ये सब कोई बात नहीं, कोई लड़की नहीं पटाई?
मै- नहीं आंटी मैं लड़कियों से बात भी नहीं करता ( और ये सच ही था मैं लड़कियों से बात करने मे बहुत जीजक्ता था). आंटी मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो.
आंटी- मुझमे ऐंसा क्या है , मै- पता नहीं पर आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो ( हम दोनों bed मे बैठे थे एक दूसरे के सामने , बीच मे लुड्डो था ) आंटी मेरे तरफ एकटक देखते हुए सवाल पूछ रही थी , और उसके चेहरे मे अलग सी ख़ुशी दिख रही थी और उनकी प्यारी प्यारी मुस्कान. उनका पल्लू अभी भी गोदी मे गिरा हुआ था.
आंटी एक बात बोलू आप बुरा तो नहीं मानोगी , आंटी – पहले तू मुझे वो किताब दिखा !! मै- लेकिन आंटी मेरे पास वो किताब नहीं है वो तो दोस्त ने दिखाई थी , मेरे पास नहीं है, आंटी- तो तू कल उससे से मांग के ले आना , मैंने कहा नहीं ल सकता , आंटी – क्यों ? मैं – वो गर्मियों की छुटियों मे गाऊँ गया है
आंटी- अच्छा कोई बात नहीं , तू क्या बोल रहा था लल्ला ? मैं – आंटी मैं आपके मम्मे देखना चाहता हूँ ? आंटी- क्यों ? मै – मन कर रहा है देखने का .. आंटी- अच्छा फिर तुझे भी एक काम करना पड़ेगा लल्ला … आप जो भी बोलो आंटी आपकी बात मैंने कभी टाली है.
आंटी मुस्काई और बोली हां ये तो है लल्ला, मैं बोला आंटी जल्दी दिखाओ कंही रिशु ना आ जाये .. अच्छा दिखातीं हूँ . आंटी ने ब्लाउज के बटन खोलने लगी , ब्लाउज मे आगे की तरफ बटन थे आंटी ने सफ़ेद ब्रा पहनी थी , उन्होंने ब्लाउज के पुरे बटन खोल दिए , पर पूरा ब्लाउज नहीं उतारा, पर सफ़ेद ब्रा मे उसके गोरे गोरे बूब्स क्या मस्त लग रहे थे मन कर रहा था उन्हें मसल दूँ, आंटी बोली बस , मैं आंटी ये क्या पूरा दिखाओ ना , आंटी- नहीं लल्ला इतना ही खाफी है , आंटी plzzz . आंटी बोली अच्छा बाबा , आंटी ने बिना ब्लाउज और ब्रा उतारे ही एक निप्पल ब्रा से बाहर निकाल दिया , मैं तो वो ब्रॉउन निप्पल देख के जैसे पागल सा हो गया , आंटी- लल्ला कैसा लगा मेरे चुचे , मैं – आंटी मस्त है , बहुत ख़ूबसूरत , मन करता है कि.
आंटी- क्या मन करता है , मैं- इन्हे छु कर देखूं ,आंटी – मेरे निप्पल चूसेगा , मैं -सच मे आंटी , आंटी – हाँ , मैं तुरंत घुटनो के बल बैठ गया और लूडो के ऊपर ही चढ़ के आंटी के निप्पल को मुह मे ले लिया और उसे छोटे बच्चे कि तरह चूसने लगा आंटी ने मेरा सर पकड़ लिया मेरा एक हाथ अपने आप उसके दूसरे बूब्स को दबाने लगा ब्रा के ऊपर से , मैं अशे ही लगभग १० मिनट तक उसका निप्प्ले चूसता रहा , और एक हाथ ब्रा के अंदर जाकर उसके दूसरे बूब्स को मसलने लगा , आंटी बोली लल्ला दूसरा निप्पल भी चूस , मैं अब उसका दूसरा निप्पल चूसने लगा उसका पहला निप्पल मेरे थूक से पूरा गिला हो गया.
आंटी बोली लल्ला ज़ोर से चूस मैं ज़ोर से चूसने लगा मेरा लण्ड खड़ा होने लग गया मेरे निक्केर मे, आंटी बोली अब तेरी बारी है , मैं बोला बोलो आंटी , आंटी- अब तू दिखा तेरी लुल्ली है या अब जवान लण्ड ? मैं थोड़ा शरमाया आंटी बोली तू खड़ा हो मैं bed मे खड़ा हो गया मेरा निक्केर टेंट बन गया था , आंटी बोली हाय दय्या , ये तो पूरा तन गया है, आंटी ने एक झटके मे मेरा निक्केर और अंडरवियर एक साथ नीचे कर दिया और मेरा खड़ा लगभग ६ इंच का लण्ड आंटी को सलामी दे रहा था.
आंटी बोली लल्ला तू तो पूरा जवान हो गया , आंटी ने मेरा लण्ड हाथ मे पकड़ लिया , जैसे ही उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ा मुझे अजीब सी जुरझरी हुई , और मैंने अपना सारा माल आंटी के हाथ मे निकल दिया , आंटी हंस दी बोले अरे ये क्या कर दिया , जवान तो हो गया पर है अनाड़ी, आंटी उठ के गयी और एक कपडा ले के आई और मेरा लण्ड और अपना हाथ साफ़ किया..
आंटी बोली लल्ला अपनी आंटी को चोदेगा, मैं बोला आंटी मैंने कभी नहीं किया , आंटी – वो तो पता चल रहा है, आंटी किचन मे गई और एक कटोरी मे तेल लेके आई , आंटी ने एक पुरानी चादर भी फोल्ड करके बेड़ पर बिछा दी, फिर आंटी मेरे लण्ड को हिलाने लगी थोड़ी देर मे मेरा लण्ड खड़ा होने लगा जब मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो गया आंटी ने उसमे खूब सारा तेल लगा दिया,आंटी अपने सर के नीचे तकिया लगा के लेट गई आंटी ने साडी और पेटीकोट ऊपर उठा दिया ,पहली बार आंटी कि चूत दिखी , चूत क्या थी बालो का जंगल थी चूत का तो पता ही नहीं चल रहा था , फिर आंटी ने कटोरी से बचा हुआ तेल लिया और अपनी चूत मे लगाने लगी , मे आंटी कि चूत देख रहा था , जब वो तेल लगा रही थी तब मुझे उसकी चूत कि गुलाबी फांके दिखी , मेरा लण्ड और भी टाइट हो गया , आंटी बोली आज़ा लल्ला , चोद अपनी पहली चूत !!!
मैं आंटी के ऊपर आ गया आंटी ने मेरा लण्ड हाथ में पकड़ा और अपनी चूत के मुह में टिका दिया, आंटी बोली लल्ला दे धक्का , मैंने एक ज़ोर का धक्का लगाया और लण्ड एक ही बार में अंदर चला गया, आंटी – उईई मर गई लल्ला रुक जा!! मैं लण्ड डालके रुक गया, थोड़ी देर बाद आंटी बोली अब लगा धक्के , मैंने लण्ड पीछे किया और फिर धक्का लगाया , तभी किसीने दरवाजा बजाया, और दरवाजे की आवाज़ सुनते ही मैं घबरा गया , मैं बोला कौन होगा आंटी, लगता है रिशु होगा इशे भी अभी आना था – आंटी बोली!!!! मैंने लण्ड बाहर निकला और निक्केर ऊपर की , आंटी ने कहा तू पीछे के दरवाज़े से निकल जा , मैं फटाफट पीछे के दरवाजे से निकल गया, बाद में पता चला कि दरवाजे पे आंटी के माता पिता थे जो गाऊँ से आये थे… मैं सीधा घर जाके बाथरूम में गुस्स गया, और नहाने लगा और नहाते नहाते आंटी कोयाद करके मुट्ठ मारी, फिर अपने अंडरवियर भी धो दिया, तो जैसे पता चला की आंटी की माता पिता आये है तो मेरे अरमानो पर पानी फिर गया , क्योंकी वो दो महीने रहने वाले थे , और मुझे आंटी को चोदने का मौका नहीं मिलने वाला था, और ऐशा हुआ भी क्योंि आंटी की माँ हमेसा घर में ही रहती थी , इस बीच मैंने १२थ पास कर लिया , और मेरा पॉलिटेक्निक में सिलेक्शन हो गया, अगस्त में आंटी के माता पिता गांव चले गए और मेरा अड्मिशन पॉलिटेक्निक में हो गया, पॉलिटेक्निक इंस्टिट्यूट मेरे घर से ४० किमी था तो मैं रोज उप डाउन करता था मॉर्निंग ७.३० पे घर से निकलता था और शाम को ७ बजे तक आता था, इस तरह आंटी से अकेले मिलने का चांस ही नहीं मिल रहा था ,इसी बीच आंटी के पिता का देहांत हो गया और उनकी माता उनके साथ रहने आ गई ,अब तो रही सही आस भी जाती रही ,ऐसे अक्टूबर आ गया , आजकल तो पता नहीं पर हमारे समय में ग्रुप फुटिंग होती थी पूरा इंस्टिट्यूट बंक मारता था एक महीने के लिए, और हमारा भी ग्रुप फुटिंग हो गया मतलब की एक महीने की छुटि.
अब मैं घर पर रहता था तो आंटी के साथ कैरम और लूडो खेलता , पर उनकी माँ घर में ही होती थी तो मौका नहीं मिल पाता था कुछ करने का. तभी हमारे गांव में शादी थी ,और मेरे परिवार को गांव जाना था, मुझे भी जाना था पर मैंने बहाना बना दिया की मुझे फ्रेंड्स के साथ ट्रिप पर जाना है, फिर मेरा परिवार गांव चला गया और मैं घर में अकेला था , दोस्तों मेरे आधे बैच मेटस instiute के पास किराये पर रहते थे , उनके साथ मैंने ब्लू फिल्म देखि थी cd और vcd प्लेयर किराये पे लाते थे, मैं खुस्किस्मत था की मेरे घर में vcd प्लेयर था क्योंकि मेरे पापा जी को गढ़वाली गाने सुनने और देखने का शौक था, तो मैंने सोचा आंटी को चोद्ने का मौका तो मिल नहीं रहा तो क्यों ना ब्लू फिल्म देखकर मुठ मारी जाए , लेकिन मुस्किल ये थी की अपने यंहा मैं ब्लू फिल्म की सीडी किराये पर नहीं ले सकता था क्योंकि ये छोटा सा शहर था और सब एक दूसरे को जानते थे.
तो मैंने आंटी के यंहा नास्ता किया और बस पकड़ कर अपने इंस्टिट्यूट के पास चला गया जन्हा से हम सीडी किराये पर लेते थे , वंहा से दो तीन सीडी किराये पर ले आया , और सोचा आज रात ब्लू फिल्म देखकर मुट्ठ मारूंगा , मैं शाम तक घर वापस आ गया , आंटी ने पूछा कँहा गए थे , मैंने कहा देहरादून गया था दोस्त से मिलने, फिर मैंने आंटी के यंहा रात का डिनर किया और सोने अपने घर आया , फिर बाथरूम से फ्रेश होके बहार आया था किसी ने दरवाजा नौक किआ , देखा तो अंकल थे बोला लल्ला तुम अकेले हो तो मैं तुम्हारे साथ सो जाता हूँ, तुम्हारे पिताजी गए थे बोल कर तुम्हारा ध्यान रखने के लिए , मेरा सारा मूड ऑफ हो गया , मुझे रात भर नींद नहीं आई सुबह तड़के नींद आई जब आँख खुल्ली तो दिन के १२ बज गए थे , फिर मैं नहा धोके आंटी के यंहा गया तो आंटी बोली इतने देर से उठा , अंकल के खराटोँ में नींद नहीं आई होगी , फिर मैंने सीधा लंच किआ , आंटी बोली लूडो खेलेगा मैंने कहा नहीं आज मूड नहीं है मैं लेटने जा रहा हूँ, और मैं अपने घर में आ गया फिर मैंने जल्दी से VCD प्लेयर में सीडी लगाई और दरवाजे बंद करके ब्लू फिल्म देखने लगा.
हमरा टीवी अंदर के रूम में होने के कारन नार्मल वॉल्यूम में आवाज बहार नहीं जाती थी , मूवी देखते देखते मेरा लण्ड खड़ा हो गया ,मूवी में एक लड़की लड़के का लण्ड चूस रही थी और दूसरी लड़की ईश लड़की की चूत चाट रही थी , मैं अपना लण्ड जोर जोर से हिलाने लगा और मेरा लण्ड झड़ गया ,मैं ऐशे ही लेटा रहा और मूवी चल रही थी , अब लड़के ने अपना लण्ड लड़की की चूत में पेल दिए दूसरी लड़की उसके बूब्स चूसने लगी तभी किसी ने दरवाजा नौक किआ , मेरा फिर दिमाग ख़राब हो गया मैंने अंडरवियर से लण्ड साफ़ किआ और बिना अंडरवियर के ही निक्कर पहना, मैंने टीवी ऑफ किया , और दरवाजे पे गया , दरवाजे पर आंटी खड़ी थी आंटी बोली मैं बोर हो रही थी सोचा तेरे साथ गपशप कर लू और आंटी अंदर आ गई , मैंने दरवाजा बंद किया आंटी ने पीले रंग की मैक्सी पहन रखी थी , आंटी बोली क्या कर रहा था लल्ला , मैं बोला आंटी मैंने आपको एक बुक के बारे में बताया था वो बुक तो मैं आपको दिखा नहीं पाया पर मैं आपको कुछ और दिखता हूँ, मैं आंटी का हाथ पकड़ कर टीवी वाले रूम में ले गया.
आज तो मैंने आंटी की अच्छी ठुकाई का पूरा मूड बना लिया था, मैंने आंटी को बैड पर बिठाया , और टीवी ऑन किया , VCD प्लेयर ऑन ही था तो पहले वाली मूवी फिनिश हो गई थी ,अभी दूसरी मूवी स्टार्ट हो गई थी , इस मूवी में ऑफिस में एक अंग्रेज बॉस अपने सेक्ट्ररी से कुछ बात कर रहा था, luckly उस समय कोई नंगा नहीं था, मैंने कहा आंटी आप मूवी देखो मैं आता हूँ, आंटी ने कहा कँहा जा रहा है लल्ला , मैंने कहा पेशाब करके आ रहा हूँ, और मैं बाथरूम में चला गया और अपना लण्ड अच्छे से साफ़ किआ क्योंकि मैं आज आंटी से अपना लण्ड चुस्वाने वाला था, फिर मैं निकर पहन के धीरे से रूम की तरफ गया ,और देखने लगा की आंटी क्या कर रही है, देखा आंटी अपने मैक्सी के ऊपर से अपनी चूत रगड़ रही थी, मैंने टीवी में देखा बॉस खड़ा था और लड़की घुटनो के बल बैठी हुई थी और उसका लण्ड चूस रही थी , उसका टॉप भी उतरा हुआ था और उसके बूब्स मस्त लग रहे थे जिन्हे वो बोस मसल रहा था, फिर बॉस ने उसको टेबल पर बैठाया और उसकी स्कर्ट और पैंटी उतार दी और उसके दोनों पैर फैला के अपनी जीब से उसकी चूत को चोद्ने लगा.
मेरा तो लण्ड फिर से टाइट हो गया पर मैं अंदर नहीं गया , मेरा मन भी कर रहा था की आंटी की चूत चाटूं , पर मैं अभी अंदर नहीं गया आंटी अपनी चूत को रगड़ रही थी ,आंटी बोली अरे लल्ला कँहा रह गया , मैं अंदर गया आंटी मुझे देख के हंसी और बोली कँहा से लाया ये फिल्म , मैंने कभी पहले नहीं देखि, मैंने कहा आंटी मुझे आपकी चूत चाटनी है , आंटी बोली मैंने कभी अपनी चूत नहीं चटवाई पर आज तो मन कर रहा है की तू इसे चाट चाट के झड़ दे , मैंने तुरंत आंटी की मैक्सी ऊपर की और पेटीकोट का नाड़ा खोला और पेटीकोट उतार दिआ आंटी ने मैक्सी भी उतार दी आंटी ने पैंटी नहीं पहनी थी पर वाइट कलर की ब्रा पहनी थी आंटी की चूत पूरा बालों का जंगल थी , मैंने आंटी के पाँव फैलाये और उनकी चूत चाटने लगा पर आंटी के बाल बार बार मेरे मुंह में आ रे थे , मैं बोला आंटी आपके बाल मेरे मुंह में आ रहे है, उसकी लड़की की चूत देखो कितनी चिकनी है, आंटी बोली लल्ला मैंने कभी अपनी चूत के बाल साफ़ नहीं किए तेरे अंकल तो पेटीकोट ऊपर करते है और सीधा लण्ड पेल देते है और १०-१२ धक्के लगा कर अपना माल छोड़ कर सो जाते है.
मैंने कहा अंकल को छोड़ अब मैं हूँ ना तुम्हरी चूत का दीवाना , चलो आज मैं तुम्हारी चूत की सफाई करता हूँ, आंटी बोली क्या मतलब , मैंने आंटी को बाथरूम में लेकर गया ,आंटी केवल ब्रा में थी आंटी का फिगर जवान मौसमी चटर्जी जैसा था क्या मस्त मैंने कैंची निकाली और आंटी के चूत के बाल जितने ट्रिम हो सकते थे किए , आंटी की चूत गीली हो रखी थी , बोली लल्ला मेरे चूत में आग लगी है , मैं बोला थोड़ा रुक जाओ मैं तुम्हारी चूत की आग अपनेमाल से बुझाऊँगा, फिर मैंने आंटी की चूत में साबुन लगाया और झाग बनाया , फिर रेज़र से आंटी के चूत के बाल साफ किए , फिर बोला आंटी अपनी ब्रा उतारो , आंटी की ब्रा उतार कर मैंने टांग दी, फिर मैंने आंटी के बगल के बाल भी साफ़ कर दिए , फिर मैंने अपने भी पुरे कपडे उतार दिए और फिर मैंने शॉवर ऑन कर दिआ , और आंटी को शावर के नीचे खड़ा कर दिआ , आंटी की चूत पानी से धूल कर चमक गई , आंटी शावर के नीचे इतनी मस्त लग रही थी की , मेरा लण्ड आंटी को सलामी देने लगा , आंटी ने भी अपनी चूत देखि तो दंग रह गई , अरे लल्ला तूने तो कमाल कर दिआ.
मैंने कहा फिर मेरा इनाम दो , आंटी बोली क्या चाहिए लल्ला ,मैं बोला मेरा लण्ड चाट कर चमका दो, अरे लल्ला ये तो मैं खुद ही चाटने वाली थी फिल्म देख कर तो मेरे जज्बात भड़क गए, और आंटी घुटनो के बल आ गई मैंने शावर स्लो कर दिआ पर बंद नहीं किआ ताकि पानी की बुँदे उसके सर में और मेरे लण्ड पर पड़ती रहे और मैं जल्दी ना झंडू ,आंटी बोली मैंने कभी पहले नहीं चूसा , मैं बोला बस आइस क्रीम या लोलीपोप समझो इसे , फिर आंटी ने अपनी जीब मेरे लण्ड की टिप पर लगाई तो मुझे ऐशा लगा को ४४० का झटका , मत पूछो दोस्तों क्या फीलिंग थी, आंटी धीरे धीरे मेरा लण्ड चूसने लगी मैंने आंटी का सर पकड़ लिए ऊपर से पानी की बूंदे गिर रही थी जैसे गरम तवे पर ठंडी पानी के छींट, कभी आंटी मेरे लण्ड को झड़ तक जीब से चाटती, आंटी ने शायद मूवी बड़े ध्यान से देखि थी, फिर आंटी लण्ड को जोर जोर से चूसने लगी मैंने भी उनका सर टाइट से पकड़ कर आगे पीछे करने लगा, मैं झड़ने वाला था पर मैंने आंटी को नहीं बताया , और मैं ओ आह करने लगा और मैं आंटी के मुंह में झड़ गया , आंटी ने अपना मुंह हटाने की कोशिस की पर मैंने आंटी का मुह कस के लण्ड पर झकड लिए तब तक जब तक आखिरी बूँद आंटी के मुंह में नहीं गिर गई.
फिर जैसे ही मैंने आंटी का मुंह छोड़ा , आंटी ने उलटी कर दी, और रोनी से सूरत बना के बोली क्या लल्ला बहार नहीं गिरा सकता था , फिर आंटी ने कुल्ला किआ, और टॉवल से अपने को पोंछा और बोली मैं जा रही हूँ, मैं मुस्करा कर बोला ऐसे ही नगी जाओगी कपडे तो पहन लो फिर आंटी रूम में गई जन्हा टीवी पर मूवी एंड हो गई थी, मैं आंटी के पीछे रूम में गया और आंटी को पीछे से पकड़ लिआ ,और उसकी गर्दन पर किश करने लगा, आंटी बोली छोडो मुझे , मैं आंटी को पीछे से चूमते चूमते उनकी गांड तक पहुँच गया और नीचे से उनकी चूत में जीब लगा दी. उनकी चूत फिर से गीली थी ,आंटी भी कुतिआ की तरह झुक गई ,आंटी को भी तो प्यास बुझानी थी , फिर मैं आंटी की चूत जीब से चोदने लगा आंटी अपनी आवाज को दबाने की कोशिस कर रही थी शायद उन्हें ऐसी ही आदत थी, मैंने अचानक उन्हें चोदना बंद किआ आंटी बोली क्या हुआ लल्ला रुक क्यों गया , मैंने बोला आप कुछ बोलो तो मुझे भी मज़ा आएगा , आंटी बोली चोद लल्ला अपनी जीब से चोद मुझे आह ,मैंने फिर जीब से आंटी की चुदाई सुरु करदी.
आंटी हाँ लल्ला चोद मुझे , चोद आह आह आह आह मैं झड़ने वाली हूँ हाँ लल्ला , हाँ चोद आह आह . …..आह ….आह और आंटी झड़ गई उनकी चूत का पानी मस्त लग रहा था, फिर आंटी बिस्तेर में निढाल सी लेट गई उनकी आँखों कीचमक बता रही थी की आंटी को बहुत मजा आया , मैं भी आंटी के बगल में लेट गया ,आंटी कैसा लगा ,आंटी बहुत मजा आया. मैं बोला अभी तो असली मजा बाकि है, फिर मैं उठा और प्लेयर में दूसरी सीडी लगा दी, मूवी लगा के मैं फिर आंटी के बगल में लेट गया , इस मूवी में एक नीग्रो था और लड़की भी ब्लैक थी, मूवी की ज्यादा डिटेल में ना जाते हुए मैं आंटी पर आता हूँ, मैं आंटी को देख रहा था और आंटी मूवी ध्यान से देख रही थी, मैंने आंटी के बूब्स चूसने स्टार्ट कर दिए और आंटी ने मुझे रोका भी नहीं, मैंने आंटी का हाथ अपने लण्ड पर रख दिआ और आंटी मेरे लण्ड को सहलाने लगी एक ब्लू फिल्म की खुमारी और दूसरा आंटी के कोमल हाथो कास्पर्श ,मेरा लण्ड फिर खड़ा होने लगा ,मैं आंटी को बोला थोड़ा चूस दो , आंटी बोली तू फिर मेरे मुंह में झड़ देगा.
नहीं अब तो मुझे आपकी चूत चोदनी है बस चूस कर इसे और टाइट कर दो ताकि आपकी चूत को और मज़ा आये , आंटी बोली ठीक है पर एक बात सुन जब तू मेरे साथ चुदाई करेगा तब तू मुझे तू बोला कर ये आप आप सुनकर अजीब लगता है, मैं बोला ठीक है अब तू मेरा लण्ड चाट , और आंटी मेरा लण्ड चाटने लगी और मैं उनके बूब्स दबाने लगा,थोड़ी देर में मेरा लण्ड फिर टनाटन हो गया , उधर मूवी में नीग्रो सोफे पर बैठा था और लड़की उसके लण्ड पर उछल रही थी, मैं बोला आंटी तू भी मेरे लण्ड के ऊपर बैठ जा आंटी बोली ठीक है , मैंने अपने सर के नीचे दो तकिये लगाये मेरा लण्ड सीधा छत की ओर तना हुआ था आंटी मेरे लण्ड पर बैठ गई और एक ही बार में मेरा पूरा लण्ड आंटी की चूत में समां गया और आंटी चिल्ला पड़ी, उई माँ मर गई , कोई नई तुझे अभी मज़ा आएगा , और आंटी थोड़ी देर रुक के फिर लण्ड पर ऊपर नीचे करने लगी आह लल्ला बहुत मज़ा आ रहा है , जब आंटी ऊपर नीचे हो रही थी तो उसके उछलते बूब्स बहुत मस्त लग रहे थे , ऐसे ही आंटी १० मिनट्स तक उचललती रही और बोली लल्ला मुझे हो रहा है मुझे हो रहा है .
मैं झड़ गई और आंटी मेरे ऊपर लेट गई , मैं पहले दो बार झड़ चूका था इसीलिए मैं अभी नहीं झड़ पा रहा था, आंटी तू तो झड़ गई अभी मेरा क्या ,आंटी मैं नीचे लेट जाती हूँ तू मुझे ऊपर से चोद दे, फिर आंटी लेट गई मैंने आंटी के पांव फैलाये और अपना लण्ड उनकी चूत में डाल दिआ, और धक्के देने लगा साथ ही साथ आंटी के बूब्स भी चूसता , पर आंटी कोई रिस्पांस नहीं कर रही थी तो मुझे अच्छा नहीं लग रहा था तो मैं गुस्से में अपना लण्ड जोर जोर से अंदर बाहर करने लगा आंटी चिल्ला पड़ी मार डालेगा क्या पर मैं रुक्का नहीं मैंने अपने मुंहसे आंटी का मुंह दबा दिया और आंटी के होंटो चूसने लगा साथ साथ ही जोर जोर से धक्के देने लगा थोड़ी देर में आंटी भी अपने चूतड़ हिलाने लगी , उससे फिर से जोस आ गया था , फिर मैंने आंटी के होंट छोड के अपनी कमर सीधी की और आंटी के घुटनो के नीचे से दोनों हाथ डाल कर उनके पांव ऊपर उठाए और ज़ोर ज़ोर से चोद्ने लगा.
हाँ लल्ला चोद, चोद मुझे हाँ आंटी ले मेरा लण्ड ये ले कमरे में ब्लू मूवी की आवाज मेरे और आंटी के टकराने की और ओह हां चोद की आवाजे आ रही थी, थोड़ी देर में आंटी मैं झड़ने वाली हूँ मैं भी झड़ने वाला हूँ और हम दोनों एक साथ झड़ गए , फिर हम १५ मिनट्स ऐसे ही लेते रहे मैं आंटी के ऊपर , फिर हम बाथरूम गए और नहाये , मन तो कर रहा था की आंटी को फिर से बाथरूम में चोद दूँ पर टाइम भी बहुत हो गया , फिर आंटी ने अपने कपडे पहने और बोली ये दिन मैं पूरी ज़िन्दगी नहीं भूलूंगी , अच्छा अब चलती हूँ माँ का चाय का टाइम हो गया है तू भी आ जा चाय पीने, तभी वो बोली तेरे अंकल को क्या बोलूंगी इस चिकनी चूत के बारे में, मैंने बोला बोल देना खुजली हो रही थी इसलिए साफ़ कर दी, और आंटी हंस पड़ी.

મારી sexy ટીચર

| Wednesday, 13 July 2016
મારી ટીચર

હું ૧૧ માં ધોરણ માં ભણતો હતો અને ભણવાનું છોડી ને મને બધું ગમતું હતું , મને મારી ગણિત ની ટીચર નીતા ખુબ ગમતી હતી જયારે એ ભણાવતી ત્યારે હું એને ચોદવાના સપના જોતો હતો એના મોટા મોટા બોલ ગોળ ગોળ ગાંડ જોઇને મારો લંડ કડક થઇ જતો હતો , હું કોઈ પણ હિસાબે એના બોલ ને એક વાર દબાવવા માંગતો હતો એની ગાંડ ઉપર મારા લંડ ને ફેરવવા માંગતો હતો હું ફક્ત એક તક સોધતો હતો , અને એક દિવસ નીતા ટીચર એ મને કહ્યું કે હું ટયુસન ક્લાસ ચાલુ કરું છુ તારે આવવું હોય તો આવજે બસ મારે તો તક જ જોઈતી હતી અને હું ટયુસન ક્લાસ જવા લાગ્યો

એનું ઘર દુર હતું એટલે હું મારી કાર લઈને જતો હતો , જયારે પણ લાગ મળતો હું તેને ખબર નહિ પડે એ રીતે તેના બોલ ને અડકી લેતો અને તેની ગાંડ ઉપર હાથ ફેરવી લેતો એક દિવસ એને મને કહ્યું કે કાલે તું સાંજે મોડો આવજે હું કામ થી બહાર જવાની છુ તો મને મોડું થશે , બીજા દિવસે હું મોડો ગયો એ આવી ના હતી તેથી ઘર ની બહાર રાહ જોઈ ને ઉભો હતો ત્યાં જ એ આવી ગઈ અને દરવાજો ખોલી ને મને અંદર બેસાડી દીધો અને કહ્યું કે તું ભણવાનું ચાલુ કર હું અત્યારે કપડા બદલી ને આવું છુ અને એ રૂમ માં જતી રહી હું મારી રીતે ચોપડી ખોલી ને નઝર ફેરવી રહ્યો હતો હતો ત્યાં જ
મારી નઝર એના રૂમ તરફ ગઈ એને રૂમ બંધ કરવા વગર જ કપડા બદલી રહી હતી ત્યારે પેહલી વાર મૈ એને બ્રા અને ચડ્ડી માં જોઈ અને મારી નઝર ત્યાં જ અટકી ગઈ ખરેખર એના બોલ મૈ જેટલા મોટા ધરેલા હતા તેના કરતા પણ મોટા હતા જે બ્રા માંથી નીકળવા તડપતા હતા એની જાંગ એકદમ માખણ જેવી લીસ્સી અને મોટી દેખાતી હતી મારો લંડ હવે મારા કાબુ ના હતો મને એવું લાગતું હતું કે લંડ હવે ચડ્ડી ફાડી ને બહાર આવી જશે એને ચોદવાની એટલી જલ્દી હતી કે એ ફૂલી ને કડક થઇ ગયો હતો એ દિવસે મારો લંડ જ મને દુઃખતો હતો અને હું તેને કાબુ માં કરવાની કોસિસ કરતો હતો હું એને મારી આખો થી ચોદ્તો હતો ત્યાં જ એની નજર મારા ઉપર પડી કે હું એને આખી નાગી જોઈ રહ્યો હતો અને છોડવા માટે થનગની રહ્યો હતો એણે તરત જ દરવાજો બંદ કરી દીધો અને કપડા બદલી ને મારી પાસે આવી ગઈ હું દરવા લાગ્યો કે એ મને કઈ કેહ્સે પણ એ કઈ નહિ બોલી અને મને પૂછવા


લાગી તને સુ લાગે છે મને ખબર ના હતી કે તું મારા બોલ ઉપર ને મારી ગાંડ ઉપર હાથ ફેરવતો હતો અને એ કેહતા એણે મારો લંડ પકડી લીધો અને મને ધક્કો મારી સુવડાવી દીધો મારો પૈંટ ની અંદર હાથ નાખી ને મારા લંડ ને પકડી લીધો મૈ તરત જ તેના હોટ ઉપર મારા હોટ મૂકી દીધા અને તેના હોટ ને ચૂસવા લાગ્યો તેના બોલ મસળવા લાગ્યો એણે મારો પૈંટ ખોલી નાખ્યો અને મારા લંડ ને બહાર કાઢી ને લંડ ને મસળવા લાગી અને કેહવા લાગી કે તારા લંડ ને આજે એ મઝા આપીશ કે એને હવે ચોદ્દવા વગર નહિ ચાલે એ મારી ચૂત માં જવા માટે


જેટલો કુદી રહ્યો હતો તેના કરતા હું એને મારી ચૂત માં નાખવા માટે તડપતી હતી એને બોલતા બોલતા એણે તેના કપડા કાઢી નાખ્યા એને મારા કપડા ખોલવા લાગી મેં પણ જલ્દી જલ્દી કપડા કાઢી નાખ્યા હવે અમે બંને પૂરી રીતે નાગા હતા એને મારો લંડ તેની બોર્ડેર તોડવાની ત્યારી કરી રહ્યો હતો મેં નીતા ને સુવડાવી ને તેની ઉપર આવી ગયો એને તેના બોલ ને દબાવવા લાગ્યો તેના બોલ ખૂબજ કડક એને મોટા હતા હું તેના બોલ ને દબાવવા લાગ્યો એને તેના નિપ્પલ ને મોઢા માં લઇ ને ચૂસવા લાગ્યો એને એક હાથ થી તેની ચૂત ઉપર હાથ ફેરવવા લાગ્યો તે ખુબજ તડપવા લાગી એને મારા લંડ ને ખુબજ જોર થી મસળવા લાગી હું ધીરે ધીરે તેના બોલ થી નીચે જવા લાગ્યો એને તેના પેટ એને કમર ઉપર જીભ થી ચાટવા લાગ્યો એને મારા બંને હાથ તેના બોલ ઉપર મૂકી તેને ખૂબજ જોર થી મસળવા લાગ્યો એ છોડવા માટે તડપતી હતી મારા લંડ ને એની ચૂત માં નાખવા માટે તડપતી હતી મેં ધીરે થી એની ચૂત ઉપર હોટ એને જીભ ફેરવવા લાગ્યો એની ચૂત ઉપર એક પણ બાલ ના હતો એને આજે કદાચ પેહલી વાર ચૂત માં લંડ જવાનો હતો



નરમ નરમ ચૂત ઉપર જયારે હું મારા હોટ ફેરવતો હતો ત્યારે એના મોઢા માંથી સિસ્કારીઓ નીકળી રહી હતી એને તે આખા ઘર માં સંભળાઈ રહી હતી બસસસસસ્સ ઉફફ્ફ્ફફ્ફફ્ફ્ફ્ફ આજે મારી ચૂત ને ફાડી નાખ એના ઉપર તારા દાત થી કડ જેવી સિસ્કારી એના મોઢા માંથી નીકળી રહી હતી જે મને ચોડવા માટે ઉક્સાવી રહી હતી એની ચૂત હવે મારા મોટા લંડ થી ચોદાવવા ત્યાર હતી એને મારો લંડ પણ મેં મારા લંડ ને એની ચૂત ની ઉપર મૂકી દીધો એને એણે કહ્યું કે તારો આખો લંડ મારી ચૂત માં એક જ ઝાટકે અંદર નાખી દે એને મેં મારા લંડ ને ઝોર થી એની ચૂત માં નાખી દીધો એના મો માંથી સિસ્કારીઓ વધી ગઈ ઊઊઊઓ મને ચોદ મારી ચૂત ની તરસ આજે બુજાવી દે તારા લંડ થી મારી ચૂત ને ફાડી નાખ એને હું તેની ચૂત ને ખૂબ જોર થી ચોદવા લાગ્યો મારો લંડ એની ચૂત ની અંદર બહાર થવા લાગ્યો એ


પણ તેની કમર ને હલાવવા લાગી એને તેના બોલ ને જાતે જ મસળવા લાગી હવે મારો લંડ તેની ચૂત ને મારા વીર્ય થી ભરવા તૈયાર હતો મૈ કહ્યું મારું વીર્ય નીકળવાનું છે એને તેને કહ્યું મારો પણ એને હું વધારે જોર થી તેને ચોદવા લાગ્યો એને તેની ચૂત ને એક જ ઝટકા માં મારા વીર્ય થી ભરી દીધી એને તેના ઉપર સુઈ ગયો એ મને પૂછવા લાગી હવે તું મને રોજ ચોદ્જે આજે પેહલી વાર હતું તેથી ઉતાવળ થઇ ગઈ કાલે હું તારો લંડ મારા મો લઈશ એને તું મને આજ થી વધારે ચોદ્જે મને વિશ્વાસ ના થતો હતો કે જે ચૂત ને હું ચોદવાના સપના જોતો હતો તે ચૂત ને મૈ આજે મારા વીર્ય થી ભરી દીધી એને હવે રોજ ચોદીસ …